Saturday 18 August 2018

गज़ल कहने के लिए

गजल कहेने के लिये
जाम का सहारा क्यूँ है?

ले दे कर बदनामी ही है
दोस्ती का यूँ बहाना क्यूँ है?

तडपना ही है गर किस्मत में,
फिर जिंदा रहना क्यूँ है?

देखनी है आखिर मौत ही सब को,
जिंदगी से याराना क्यूँ है?

हर पल कुछ खोना हैं फिर भी
कुछ पाने का सपना क्यूँ है?

आखिर बिछड़ना ही हैं सभी से
फिर भी यह मिलना क्यूँ है?

दुनिया मुझे सूरत देखे तो जाने है
अरमानों को फिर छुपाना क्यूँ है?

न रही जिंदगी में उम्मीद किसी आहट की
तनहाइयों से दिल बेजार होता क्यूँ है?
- नजाकत